बैंक बना zomato और swiggi
अब खबर है कि बैंक कर्मचारियों की परफॉर्मेंस का रिव्यू कस्टमर QR कोड स्कैन कर रेटिंग देकर करेंगे!
क्या अब बैंकिंग भी Zomato और Swiggy की तरह 5 स्टार रेटिंग के पीछे भागेगी?
पर क्या वाकई रेटिंग बैंक मे जरूरी है जहा
1. 10 आदमी का काम 1 स्टॉफ कर रहा है
2. जहां कनेक्टिविटी आधे टाइम रहती ही नही
3. जहां सैकड़ो लोग कैश की लाइन मे लगे हो और ब्रांच मे काउंटिंग मशीन भी 10 साल पुरानी वाली हो
4. जहां नकली नोट लाने वालो को बाइज्जत उनको जाने दिया जाता हो
5. जहां ऑनलाइन कम्प्लेन के लिए बैंक मे न तो कोई स्टॉफ नियुक्त हो न ही कोई एडमिन ऑफिस से सपोर्ट की उम्मीद हो
6. जहा मुस्करा कर ग्राहक से रूबरू न होने पर उसकी कम्प्लेन चेयरमैन से की जाती हो
7. जहां दिन भर फोनपे paytm करने वाला ग्राहक बैंक मे पासबुक भर जा रहा है उसकी शिकायत करता हो
8. जहा सिबिल खराब होने पर लोन एप्रूव न करने पर उसे बाहर देख लेने की धमकी दी जाती हो
9. जहा बैंक से स्टॉफ हटा कर बैंक के बाहर कैश डिपोजिट मशीन लगा दी जाये और रोजाना पैसा फसने पर जो बचा हुआ स्टॉफ है उसे ही बैंक के ग्राहक + मशीन की समस्या को भी सही करना पड़ता हो
10. जहा बैंक कर्मचारी को गोल्ड लोन देने से पहले उम्मीद की जाती हो कि उसने सोने चांदी आभूषण का शॉर्ट टर्म कोर्स किया हो और उसे पता हो कि सोना 24 करेट है या 16
11. जहा ग्राहक की FD को म्यूच्यूअल फंड मे लगवाया जाता हो और साल के अंत मे डिपोजिट कहा जा रहा है उस विषय पर 5 स्टार होटल मे करोड़ो रुपये खर्च करके उस पर चिंतन किया जाता हो
12. जहा काम के दबाव के कारण बैंक कर्मचारियों की औसत आयु कम हो रही हो और कम आयु मे हाई BP, अवसाद , चिड़चिड़ापन के शिकार हो रहे हो
13. जहा नए नए सॉफ्टवेयर बैंक मे लाये जाते हो जो 10 मिनट वाले काम को घंटो मे करते हो और सवाल पूछने पर सिक्योरिटी ब्रीचेड लिख कर सिस्टम ही बंद कर देते हो
14. जहा व्हाट्सएप यूट्यूब फेसबुक से ज्ञान लेकर आये ग्राहकों से स्टॉफ का रोज का सामना होता हो
15. जहा पूरी ब्रांच मे एकलौते स्टॉफ से बोला जाता हो कि काम तो करो उसके साथ ग्राहक का मोबाइल लेकर उसमे रेटिंग भी करो
ऐसे तमाम कारण है जहा स्टॉफ को सही इन्फ्रास्ट्रक्चर नहीं मिलता, तो इसकी जिम्मेदारी ऊपर बैठे अधिकारियों की भी होनी चाहिए। क्या शाखाओं को भी अपने वरिष्ठ अधिकारियों को रेट करने का अधिकार मिलना चाहिए ??
स्टाफ की मेहनत और समर्पण को केवल 'रेटिंग' तक सीमित करना न केवल उनका अपमान है, बल्कि उनकी गरिमा के खिलाफ भी है। रेटिंग देनी है तो उसमे इन प्रश्नों को भी डालिये
1. क्या ब्रांच मे पर्याप्त स्टॉफ है ??
2. क्या कनेक्टिवटी ब्रांच मे रहती है ??
3. क्या बैंको मे ओनलाइन बैंकिंग की समस्या को बताने वाला स्टॉफ नियुक्त है ??
4. क्या 1 ही व्यक्ति 1 ही समय मे कैश, गोल्ड लोन, ATM, KYC, चेक बुक स्टॉप, 15G/H , लाइफ सर्टिफिकेट, DD, पासबुक प्रिंटिंग, लोन , अकाउंट ओपनिंग और फील्ड विजिट कर सकता है ??
#webankers ऐसी किसी भी रेटिंग के खिलाफ है जिसमे बैंक कर्मचारियों का शोषण होता हुआ उन्हे दिखे ।।
आप अपनी राय दीजिये कि अल्प संसाधनों मे काम करने वाले बैंक कर्मचारीयों की रेटिंग करना जरूरी है या इस रेटिंग बनाने वाली कम्पनी को हजारों करोड़ देने की जगह बैंक मे स्टॉफ भरती की है ।।