Why We Webnkers is different from other Unions!

Why We Webnkers is different from other Unions!
Friday 4th October 2024 By : Kamlesh Chaturvedi

वी बैंकर्स के खिलाफ बोलने या इसकी आलोचना करने से पहले यह बुनियादी सच याद रखा जाना चाहिए कि वी बैंकर्स कोई परम्परागत यूनियन नहीं है, वी बैंकर्स एक विचारधारा है, आन्दोलन है, वी बैंकर्स का मतलब है हर वह कर्मचारी जो वर्तमान व्यवस्था से दुखी है, पीड़ित है और वर्तमान व्यवस्था में परिवर्तन चाहता है, इन मायनों में आप ख़ुद वी बैंकर्स हैं, मैं वी बैंकर्स हूँ, हम सब वी बैंकर्स हैं । हमारे आंदोलन की सफलता का मतलब है वेतन पेंसन और कार्य दिवस में कम से कम समता और बराबरी, बैंक कर्मचारियों के खोए हुए मान, सम्मान और स्वाभिमान की वापिसी । वी बैंकर्स के आंदोलन की असफलता का मतलब है आपका ख़ुद का अपनी ताक़त पर भरोसा न करते हुए हार को स्वीकार कर लेना । 

 

स्पष्ट रूप से दो विचारधाराएं हैं, पहली बैंक कर्मियों को किसी उपभोग की वस्तु मानते हुए सामूहिक सौदागीरी के सिद्धांत का अनुपालन करते हुए भुगतान क्षमता पर आधारित परंपरागत प्रतिशत बढ़ोत्तरी वाली धारा, यदि आप इस विचारधारा से सहमत हैं तो वी बैंकर्स के अस्तित्व को ही भूल जाइए और परंपरागत स्थापित यूनियनों को मजबूत करने के लिए पूरी निष्ठा और समर्पण के साथ लग जाइए।

 

दूसरी विचारधारा सिर्फ और सिर्फ वी बैंकर्स की है जो यह मानती है कि बैंक कर्मी कोई उपभोग की वस्तु नहीं है कि उनकी सेवाओं का मोल तोल किया जाए, वे इंसान हैं और इसलिए उनके वेतन पेंशन आदि का निर्धारण उसी वैज्ञानिक और तर्कपूर्ण तरीके से होना चाहिए जिसका निर्धारण 1957 में इण्डियन लेबर कांफ्रेंस में हुआ, जिसे वेतन आयोग अमल में लाता है और जिसका प्रावधान बैंकिग कंपनीज एक्विजिशन एंड ट्रान्सफर ऑफ़ अंडरटेकिंग एक्ट, 1970/1980 की धारा 19 के अंतर्गत किया गया है। यदि बोर्ड या टॉप मैनेजमेंट की लापरवाही से बड़े बड़े उद्योगपतियों और औद्योगिक घरानों को दिए गए ऋण एनपीए हो जाने से बैंकों की भुगतान क्षमता घटती है तो इसके लिए आम बैंक कर्मियों को कम वेतन और पेंशन के रूप में दंडित करना संविधान प्रदत्त समानता और बराबरी के मौलिक अधिकार से वंचित किया जाना है। 

 

इस तरह आप अपनी असीम विद्वता के चलते जब वी बैंकर्स की आलोचना कर इसका उपहास उड़ा रहे होते हैं तब सही मायनों में आप ख़ुद अपना उपहास उड़ा रहे होते हैं । यह बात अपने दिल और दिमाग से निकाल दीजिए कि अपने आंदोलन की असफलता से वी बैंकर्स ख़ुद कुछ खोने जा रहा है, क्योंकि इसके पदाधिकारी आप ही की तरह आम बैंक कर्मचारी हैं न कि यूनियन को ट्रेड में परिवर्तित करने वाले पेशेवर नेता, इस लिहाज से जो आपको सुलभ है वही इनको भी सुलभ है। असफलता से ये कुछ खोने नहीं जा रहे बल्कि आप अपना ख़ुद का मान, सम्मान और स्वाभिमान खोने जा रहे हैं । विद्वता को कोने में रख कर विचार कीजिए, निर्णय लीजिए। 

 

वी बैंकर्स के रणबाँकुरों से एक ही बात कहनी है कि मत सोचो कि अकेले क्या कर पाएंगे, नहीं देते लोग साथ तो क्या खाक बदलाव लाएंगे? ऐसी सोच कायरता है, कमज़ोरी है. तुम तो बस मान लो और ठान लो कि कम से कम मैं तो नहीं सहूँगा अत्याचार, अनुचित व्यवहार न अपने प्रति न दूसरे के प्रति, हम बदलेंगे तो ही व्यवस्था बदलेगी, शुरुआत तो अपने से ही करनी पड़ेगी. तुम चल निकलोगे तो तुम्हारी जैसी सोच के राही मिलते जाएंगे और कारवां बनता जाएगा, आज जो कठिन और असंभव लग रहा-आसान और संभव बनता नज़र आएगा. वह सुबह कभी तो आएगी, उस सुबह का इंतज़ार न करो, जो चलेगा वो मंजिल को पा ही लेगा,जो लड़ेगा या संघर्ष करेगा उसी के तो जीतने की सम्भावना होगी, जो लड़ेगा ही नहीं उसकी तो पराजय निश्चित है।